अनिल किराती
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Sunday, September 10, 2017
कालिकोट
तुइन, कर्णाली अनि हामी
सँगै छौ अनि यात्रामा छौ
अनन्त - सदिंयौदेखि
ओ महाशय !
अचम्म लाग्ला -
तर यो सुन्दर यथार्थता हो,,,,,,
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